exma.rajasthan-शिक्षकों की भर्ती अब भुला देगी नेतागिरी, पढ़िए आखिर कैसे...

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जयपुर. राज्य सरकार की ओर से 41,000 शिक्षक पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही राजनीतिक परेशानियों का दौर शुरू हो गया है।


लंबे समय बाद निकली इन भर्तियों में पदों के जिलेवार आवंटन में जबर्दस्त असंतुलन है। सर्वाधिक 3144 रिक्तियां नागौर में है वहीं, झुंझुनूं में सामान्य वर्ग के लिए एक भी पद नहीं आया है, सिर्फ 20 पद एसबीसी के लिए रखे गए हैं। जयपुर में महज 586 पद रिक्त बताए गए हैं।


लंबे समय से शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रहे युवाओं को अधिक रिक्तियों वाले जिलों से आवेदन करना होगा। इसे लेकर जनप्रतिनिधियों में चिंता बढ़ गई है। इन जनप्रतिनिधियों का कहना है कि वे इस मामले को सरकार के समक्ष उठाएंगे।


क्यों हुआ असंतुलन


सरकार ने प्रतिबंधित जिलों में लंबे समय से कार्यरत शिक्षकों को उनके गृह जिलों में लाने के लिए आवेदन मांगे हैं। 9 जिलों में इनकी संख्या करीब 16,000 है। इन शिक्षकों को हटाने के कारण खाली पदों की संख्या बढ़ी है।


संभावित असर


इन जिलों में पदों की संख्या अधिक होने के कारण अन्य जिलों के अभ्यर्थी आवेदन करेंगे। अगर प्रतिबंधित जिलों से बाहर के अभ्यर्थी चुने जाते हैं तो उनको भी लंबे समय तक वहीं रहना पड़ सकता है।


भर्ती प्रक्रिया


शिक्षकों की भर्ती संबंधित जिला परिषद की जिला स्थापना समिति द्वारा की जाएगी। इसके लिए लिखित परीक्षा जिला और तहसील मुख्यालय पर एक ही निर्धारित तिथि और समय पर होगी। परीक्षा संभवत: मई में हो सकती है। इसमें पहली पारी में प्रथम स्तर (कक्षा १ से ५ं) और दूसरी पारी में द्वितीय स्तर (कक्षा ६ से ८) के लिए परीक्षा होगी।


इसके लिए 27 फरवरी तक विज्ञापन जारी हो जाएंगे और 2 मार्च से फार्म भरे जा सकेंगे? अंतिम तिथि 2 अप्रैल होगी। एक अभ्यर्थी दोनों स्तर के लिए अलग अलग शुल्क देकर आवेदन कर सकेगा।


योग्यता


नियमानुसार शैक्षणिक योग्यता और 35 साल से कम उम्र के अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे। इस दौरान भर्ती नहीं निकलने के कारण वंचित रहने वाले अभ्यर्थियों को तीन साल तक की छूट मिलेगी।


ऐसा होगा आरक्षण


एससी, एसटी, ओबीसी, एसओबीसी, निशक्तजन, भूतपूर्व सैनिकों, विधवा और परित्यक्ताओं सहित महिलाओं, टीएसपी एरिया के एसटी एसटी और सहरिया जनजाति के लिए नियमानुसार आरक्षण होगा। इसमें 12 प्रतिशत भूतपूर्व सैनिकों और 2 प्रतिशत उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए आरक्षित रहेंगे।


देरी का कारण : भर्ती संबंधी सियासी दिक्कतों से बचने की भी कवायद हुई। इसमें जिला परिषदों के स्थान पर राज्य सरकार के स्तर पर केंद्रीकृत परीक्षा कराने पर सलाह ली गई, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। इस कारण मामला अटका रहा।


आरटेट जरूरी : भर्ती में विधवा और परित्यक्ताओं को शामिल होने के लिए आरटेट पास कर प्रमाण पत्र हासिल कर लिया हो।

source-bhaskar

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